राखी हिन्दुवानी, हिन्दुवानको तिलक राख्यो |
अस्मृती पुराण राखे वेदविधि सुनी मैं ||
राखी रजपुती , रजधानी राखी राजन की |
धरामे धर्म राख्यो , राख्यो गुन गुनी मैं ||
भूषण सुकवि , जीती हद्द मरह्टट्न की |
देस देस कीर्ति , बरवानी तव सुनी मैं ||
साही के सपूत , सिवराज समशेर तेरी |
दिल्ली दल दाबी कै, दिवाल राखी दुनी मैं ||
वेद राखे विदित , पुराण राखे सारयुत |
रामनाम राख्यो , अति रसना सुघर मैं ||
हिन्दुन की चोटी, रोटी राखी है सिपहीन की |
कान्दे मैं जनेऊ राखे , माला राखी गर मैं ||
मिडी राखे मुगल , मरोरी राखे पातसाह |
बैरीपिसी राखे , बरदान राख्यो कर मैं ||
राजन की हद्द राखी , तेगबल सिवराज |
देव राखे देवल , स्वधर्म राख्यो घर मैं ||
देवल गिराविते , फिराविते निसान अली |
ऐसे डूबे रावराने , सबी गए लबकी ||
गौर गणपती आप , औरनको देत ताप |
आपनी ही बार सब , मारी गये दबकी ||
पीरा पैगंबर , दिगंबर दिखाई देत |
सिद्ध की सिदधाई गई , रही बात रब की ||
कासी की कला जाती, मथुरा मस्जिद होती |
सिवाजी न होते तो , सुन्नत होती सबकी ||
Wednesday, March 11, 2009
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